गोंडा जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने बताया है कि शासन से कृषकों को उर्वरकों की बिक्री जोत-बही, खतौनी में अंकित कृषित भूमि एवं फसल की संस्तुतियों के आधार पर किये जाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि कृषकों को उनकी जोत ध् कृषि भूमि के आधार पर ही नियमित रूप से फसल की संस्तुतियों के अनुरूप उर्वरकों का वितरण एवं बिक्री सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि रबी फसलों की बुवाई के समय फसल वेसल-ड्रेसिंग में मुख्यतया फास्फेटिक उर्वरकों यथा डीएपी, एनपीके एवं एसएसपी उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है, जिससे वर्तमान में फास्फेटिक उर्वरकों की मांग अधिक होती है।
उन्हांेने जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया है कि प्रत्येक कृषकों को उसके द्वारा उगाई जाने वाली फसल की निर्धारित संस्तुतियों के अनुसार फास्फेटिक उर्वरक पर्याप्त मात्रा में ससमय उपलब्ध हो। कृषकों को समय से उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु प्रभावी कार्यवाही की जाए तथा इसका नियमित अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाए। कृषकों को उर्वरकों की बिक्री करते समय उनकी जोत-बही, खतौनी देखकर उसमें अंकित कृषित भूमि एवं उगाई जाने वाली फसल की निर्धारित संस्तुतियों के अनुसार पीओएस मशीन के माध्यम से उर्वरकों की बिक्री सुनिश्चित की जाए। उर्वरक विक्रेताओं द्वारा अपने विक्रय केन्द्रों पर उर्वरक बिक्री करते समय उर्वरकों का वितरण विक्रय रजिस्टर पर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए।
उन्होंने कहा कि विवरण में क्रेता कृषक की जोत-बही, खतौनी एवं बोई जाने वाली फसल का विवरण भी अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए। शासनादेश के अनुसार जनपद में प्राप्त होने वाली उर्वरकों का सुगमतापूर्वक कृषकों की मांग व आवश्यकता के अनुरूप वितरण किए जाने हेतु सहकारिता विभाग के साधन सहकारी समितियों एवं अन्य सहकारी संस्थाओं तथा निजी क्षेत्र के प्रत्येक उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर उर्वरक की बिक्री की सतत निगरानी किए जाने हेतु कृषि सहित सहकारिता, ग्राम्य विकास विभाग एवं यथावश्यक अन्य विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की बिक्री केन्द्रों पर केन्द्रवार ड्यूटी लगाई जाए तथा प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी द्वारा अपने निरीक्षण के समय बिक्री केन्द्रों पर उर्वरक वितरण रजिस्टर पर कृषकों की जोत-बही, खतौनी एवं बोई जाने वाली फसल का वितरण अंकित किए जाने का सत्यापन किया जाए ।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि उर्वरक विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य पर उर्वरक बिक्री करता पाया जाए तो उसके विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार प्रभावी विधिसंगत कार्यवाही सर्वोच्च प्राथमिकता पर सुनिश्चित की जाए। फुटकर उर्वरक विक्रेताओं के साथ थोक उर्वरक विक्रेताओं एवं बफर स्टॉकिस्टों का सघन निरीक्षण किया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं थोक उर्वरक विक्रेता स्थानीय स्तर पर अपने पास उर्वरक का अनावश्यक भण्डारण कर, उर्वरकों का कृत्रिम अभाव तो उत्पन्न नहीं कर रहे हैं। अधिक भण्डारण व खाद की कालाबाजारी करने वाले दोषियों के विरुद्ध सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाय।